ये बचपन की पुरानी यादें शायरी (Bachpan ki purani yaadein) आपको बचपन की उन मधुर यादों में ले जाएगी, जो हर किसी के दिल में एक खास जगह रखती हैं। इन पंक्तियों को पढ़कर आपको अपने बचपन की वो बेफिक्र और मासूम दुनिया याद आ जाएगी, जहां खुशियाँ बिना किसी वजह के मिल जाया करती थीं। हमें उम्मीद है कि ये बचपन की पुरानी यादें शायरी (Bachpan ki purani yaadein) आपके दिल को छू जाएगी और आप कुछ पल के लिए उन पुराने यादों में खो जाएँगे। तो इन बचपन की शायरियों को जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें, ताकि वे भी अपने बचपन की मधुर यादों को फिर से जी सकें।
बचपन की पुरानी यादें शायरी | Bachpan ki purani yaadein
एक बचपन का जमाना था,
खुशियों से भरा हुआ
याद तो आना ही था।
आते जाते रहा कर ए दर्द,
तू तो मेरा बचपन का साथी है।
कौन कहता है मैं जिंदा नहीं,
बस बचपन ही तो गया है।
पुरानी यादें शायरी 2 लाइन
पैसे तो बहुत हैं, पर काश,
बचपन खरीद पाता।
वक्त से पहले ही रूठ गई,
बचपन की मासूमियत।
गुम सा गया है अब कहीं,
वो सुकून देने वाला बचपन।
जैसे बिन किनारे की कश्ती,
वैसे ही बचपन की मस्ती।
पुरानी अलमारी से देखकर,
बचपन का खिलौना सताता है।
जब हम छोटे बच्चे थे,
अकल से थोड़े कच्चे थे,
लेकिन मन से पूरे सच्चे थे।
वो दिन कितने खास थे,
जब हम बिना किसी डर के जीते थे।
गांव की बचपन की यादें शायरी
मैंने बचपन में एक अधूरा ख्वाब देखा था,
आज तक उसी ख्वाब को पूरा करने में लगा हूँ।
वो मासूमियत, वो उम्मीद, वो सपना,
आज भी मेरे दिल में जिंदा है।
मिट्टी के खिलौने थे साथी,
आसमान था खेल का मैदान।
बिना शिकवे, बिना गिले,
हर दिन एक नया जहान था।
वो बचपन की बेफिक्र जिंदगी,
आज भी यादों में ताजा है।
बचपन भी कमाल का था,
खेलते-खेलते चाहे छत पर सोएं या ज़मीन पर।
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी,
पर सपने आसमान में होते थे।
वो बेपरवाही, वो मस्ती,
आज भी दिल को छू जाती है।
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